Tuesday 9 January 2024

8 भाव मे गुरु का फल एक ऐसा व्यक्ति देगा जो हर चीज़ का अवमूल्यन करेगा, अवमूल्यन, उपेक्षा, अस्वीकृति, निंदा, आक्रामकता के माध्यम से सब कुछ सीखेगा। ऐसे व्यक्ति में बहुत अधिक संदेह, विडम्बना हो सकती है, वह किसी भी बात पर विश्वास नहीं कर सकता है, वह नास्तिक हो सकता है। नकारात्मक रूप से, अष्टम भाव में अप्रकाशित बृहस्पति के साथ, यह व्यक्ति को अधीनस्थ पद दे सकता है। उनका चरित्र दिखावापूर्ण और निष्ठाहीन हो सकता है। बृहस्पति उच्च ज्ञान, बुद्धि है, और 8वें घर में आने से, मानो बुद्धि, उच्च ज्ञान खो गया है, लेकिन वास्तव में वे हैं, वे बस छिपे हुए हैं। आठवें घर में बृहस्पति, यदि यह प्रकट नहीं होता है, तो व्यक्ति को उनकी कटलफिश के अनुसार बीमारियाँ देगा, विशेषताएँ: ये ट्यूमर, वृद्धि, कैंसर ट्यूमर (ऑन्कोलॉजी), मोटापा, वसा ऊतक के साथ समस्याएं, सब कुछ जो बढ़ता है, बढ़ता है, हो सकता है। यकृत रोग, पित्ताशय, मधुमेह भी। बृहस्पति, आठवें घर में बुध की तरह, अध्ययन, गूढ़ और रहस्यमय ज्ञान की प्राप्ति, उच्च ज्ञान और विज्ञान का प्रत्यक्ष संकेत है जो ब्रह्मांड के नियमों से जुड़े हैं, सूक्ष्म दुनिया और कारण-और-प्रभाव संबंधों को समझते हैं। और विशेष रूप से, यह ज्योतिष है। इसलिए, ऐसे व्यक्ति का कार्य, प्रारंभिक मूल्यह्रास के बावजूद, 8 वें घर के क्षेत्र में प्रवेश करना है, खुद को वहां प्रकट करना है, पिछले जन्मों से छिपे हुए, गुप्त ज्ञान में प्रवेश करना है जो वास्तव में उसके अंदर है। अक्सर ऐसे संकेतक के साथ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें पिछले जीवन में जला दिया गया था, गिलोटिन पर उनके सिर काट दिए गए थे, पत्थर मार दिए गए थे, यानी, उनके ज्ञान ने उन्हें किसी प्रकार की पीड़ा और यहां तक कि मृत्यु भी दी थी, इसलिए इस जीवन में यह मुश्किल हो सकता है वे इस ज्ञान को प्रकट करने के लिए, उनके संपर्क में आने के लिए, उनसे छिपने लगते हैं, क्योंकि डर होता है कि वे फिर से पीड़ा का कारण बनेंगे। और वे ऐसे माता-पिता चुनते हैं जो इस ज्ञान को उनके लिए बंद कर देंगे, उनसे छिपा देंगे। इसलिए, उनके लिए इस उच्च ज्ञान और ज्ञान को छूना मुश्किल हो सकता है, लेकिन वे अंदर बैठते हैं और खुद को प्रकट करना चाहते हैं, घूरना, बुलाना, चिल्लाना चाहते हैं। बृहस्पति एक कारक है, जो धन और सौभाग्य का सूचक है, और यह क्षेत्र किसी व्यक्ति से तब तक छिपाया जा सकता है, जब तक वह अपना आठवां घर प्रकट नहीं कर देता। यदि बृहस्पति आठवें घर में प्रकट हो तो व्यक्ति को ब्रह्मांड के नियमों का गहरा ज्ञान होता है। वह न्यायपालिका में, मानवाधिकार संगठनों में काम कर सकता है, लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा कर सकता है, गुप्त सेवाओं में काम कर सकता है, ज्योतिष और अन्य गूढ़ विज्ञानों में संलग्न हो सकता है। लम्बी उम्र हो सकती है.

Sunday 15 May 2022

जन्म कुंडली का 7वा भाव आपके life partner का होता है लोगो के बीच आपकी image कैसी है वो आपका 7वा भाव बताता है.. क्यू की 7वा भाव पहले भाव से 7वा भाव है. तो ये भाव आपकी personality के reflection को दिखाता है. अगर आपके अंदर high self esteem नही है तो आप किसी को अपनी तरफ़ आकर्षित नही कर सकते... तो low self esteem का होना आपके लिये bad relationships को भी attract करता है... सातवे भाव मे यदि सूर्य हो तो जीवन साथी .ego से भरा होता है. और 7वे भाव मे सूर्य को पसंद नही आता की लोग उसे judge करे. क्यू की सूर्य राजा होता है,और सातवा भाव आम जनता का. तो सूर्य इस भाव मे लोगो से relations को जलाता है उसका social status भी होता है बशर्ते नीच ना हो और पापी ग्र्हो की नजर ना हो नही तो partner की image अच्छी ना होगी. चन्द्र = Fluctuations in relationship पार्ट्नर moody होता है,पल पल बदलता रेहता है. बुध= बाते करना बहुत पसंद होता है जीवन साथी को.और स्वयं को भी.great sense of humor और Intelligence partner हो सकता है आपका शुक्र= कारको भावे नाशयसे शुक्र इस भाव मे शादी शुदा जीवन को फीका कर देता है. जीवन साथी आकर्षक होता है..और वही बात जलन की वजाह बनती है.... मंगल= ये शादी के लिये अच्छा नही.क्यू की मंगल लडाई का ग्र्ह है तो एक impulsive. argumentive partner होता है. शनि= एक loyal जीवन साथी....mature older जीवन साथी..बशर्ते शनि वक्री ना हो वक्री शनि होने पर अपने से lower cast वाले व्यक्ति से शादी होती है और वो झुंटा निकलता है ब्र्हस्पति= एक गुरू type जीवन साथी.जो आपको ज्ञान सिखाये एक teacher type partner राहू हो सकता है आपका partner out of cast हो. या धोका दे आपको. या विदेशी partner यक फिर वो बहुत Obsessive व कुछ छिपाने वाला हो सकता है केतू ऐसा partner जिसे सहारे की जरुरत हो..जिसके जीवन मे परेशानी रही हो. victims type partners या एक आध्यत्मिक जीवन साथी. सातवे भाव मे मंगल और शनि एक साथ हो तो ऐसे जातक की relationship मे बहुत विरोध होते है,दुश्मन बहुत होते है. स्वयं का जीवन साथी दुश्मन बन जाता है. सातवे भाव मे मंगल और शुक्र हो तो ऐसा जातक या जातिका दो संबंध स्थापित करता है. अगर सातवे भाव मे मंगल+सूर्य+ बृहस्पति हो 7वे भाव मे राहू शनि हो तो जातक नीचले दर्जे के कर्मचारीयो या कुलिन लोगो से किन्नरो से भी संबंध बनाने मे रुचि लेता है. 7वे भाव का स्वामी किस राशि के है किस भाव मे है ये सब बाते भी मायने रखती है 7वे भाव का स्वामी दुःस्थान अर्थात कुंडली के 6,8,12 भाव मे बैठना शादी शुदा जीवन के लिए अच्छा नही होता क्यो की ये सब दुःस्थान हैं तो आप शादी के बाद भी कोई ऐसा साथी चुन सकते हैं जो की सिर्फ पीड़ा का कारण बने 7वे भाव मे वक्री ग्रह आपको हमेशा पूर्व जन्म की memories इस जन्म में वैवाहिक जीवन के जरिये कुछ बाते याद दिलाते रहते हैं तो 7वे भाव और आपके relation से जुडे ये कुछ सूत्र है. 7वा भाव खाली हो तो उसके स्वामी को और 7वे भाव पर दृस्टि डाल रहे ग्रहो को देखा जाएगा
जन्म कुंडली का 7वा भाव आपके life partner का होता है लोगो के बीच आपकी image कैसी है वो आपका 7वा भाव बताता है.. क्यू की 7वा भाव पहले भाव से 7वा भाव है. तो ये भाव आपकी personality के reflection को दिखाता है. अगर आपके अंदर high self esteem नही है तो आप किसी को अपनी तरफ़ आकर्षित नही कर सकते... तो low self esteem का होना आपके लिये bad relationships को भी attract करता है... सातवे भाव मे यदि सूर्य हो तो जीवन साथी .ego से भरा होता है. और 7वे भाव मे सूर्य को पसंद नही आता की लोग उसे judge करे. क्यू की सूर्य राजा होता है,और सातवा भाव आम जनता का. तो सूर्य इस भाव मे लोगो से relations को जलाता है उसका social status भी होता है बशर्ते नीच ना हो और पापी ग्र्हो की नजर ना हो नही तो partner की image अच्छी ना होगी. चन्द्र = Fluctuations in relationship पार्ट्नर moody होता है,पल पल बदलता रेहता है. बुध= बाते करना बहुत पसंद होता है जीवन साथी को.और स्वयं को भी.great sense of humor और Intelligence partner हो सकता है आपका शुक्र= कारको भावे नाशयसे शुक्र इस भाव मे शादी शुदा जीवन को फीका कर देता है. जीवन साथी आकर्षक होता है..और वही बात जलन की वजाह बनती है.... मंगल= ये शादी के लिये अच्छा नही.क्यू की मंगल लडाई का ग्र्ह है तो एक impulsive. argumentive partner होता है. शनि= एक loyal जीवन साथी....mature older जीवन साथी..बशर्ते शनि वक्री ना हो वक्री शनि होने पर अपने से lower cast वाले व्यक्ति से शादी होती है और वो झुंटा निकलता है ब्र्हस्पति= एक गुरू type जीवन साथी.जो आपको ज्ञान सिखाये एक teacher type partner राहू हो सकता है आपका partner out of cast हो. या धोका दे आपको. या विदेशी partner यक फिर वो बहुत Obsessive व कुछ छिपाने वाला हो सकता है केतू ऐसा partner जिसे सहारे की जरुरत हो..जिसके जीवन मे परेशानी रही हो. victims type partners या एक आध्यत्मिक जीवन साथी. सातवे भाव मे मंगल और शनि एक साथ हो तो ऐसे जातक की relationship मे बहुत विरोध होते है,दुश्मन बहुत होते है. स्वयं का जीवन साथी दुश्मन बन जाता है. सातवे भाव मे मंगल और शुक्र हो तो ऐसा जातक या जातिका दो संबंध स्थापित करता है. अगर सातवे भाव मे मंगल+सूर्य+ बृहस्पति हो 7वे भाव मे राहू शनि हो तो जातक नीचले दर्जे के कर्मचारीयो या कुलिन लोगो से किन्नरो से भी संबंध बनाने मे रुचि लेता है. 7वे भाव का स्वामी किस राशि के है किस भाव मे है ये सब बाते भी मायने रखती है 7वे भाव का स्वामी दुःस्थान अर्थात कुंडली के 6,8,12 भाव मे बैठना शादी शुदा जीवन के लिए अच्छा नही होता क्यो की ये सब दुःस्थान हैं तो आप शादी के बाद भी कोई ऐसा साथी चुन सकते हैं जो की सिर्फ पीड़ा का कारण बने 7वे भाव मे वक्री ग्रह आपको हमेशा पूर्व जन्म की memories इस जन्म में वैवाहिक जीवन के जरिये कुछ बाते याद दिलाते रहते हैं तो 7वे भाव और आपके relation से जुडे ये कुछ सूत्र है. 7वा भाव खाली हो तो उसके स्वामी को और 7वे भाव पर दृस्टि डाल रहे ग्रहो को देखा जाएगा

Sunday 26 December 2021

कुंडली में भाग्येश और नवम भाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार नवें घर से गुरु, देवता, पिता, भाग्य, उत्तम कर्म , जंघा, ग्रैंडसन का विचार किया जाता है | इसे त्रिकोण और भाग्य भाव भी कहा जाता है | नवें घर से कानून,न्याय व्यवस्था का भी विचार किया जाता है। कुंडली में नवमेश अगर बलवान होकर बैठे हों तो पिता दीर्घायु होता है। व्यक्ति को उच्च शिक्षा ,क़ानून के क्षेत्र में सफलता दे सकता है। धार्मिक झुकाव के साथ व्यक्ति गुरुजनों का सम्मान करने वाला और भाग्यशाली हो सकता है। यदि कुंडली में सूर्य और चन्द्रमा शनि और मंगल से पांचवें या नवें भाव में हो तो ऐसे जातक को पिता का प्यार नहीं मिल पाता, लेकिन सूर्य और चन्द्रमा पर बृहस्पति कि दृष्टि हो तो योग भंग हो जाता है । अगर शनि नवमेश होकर चर राशि में हो और व्ययेश बलवान हो तो जातक किसी के यहां गोद चला जाता है। अक्सर देखा गया है कि नवम भाव का स्वामी अगर दुःस्थान में हो या पाप ग्रहों के मध्य हो तो पिता को कष्ट होता है। कुंडली में नवम भाव अगर कमजोर हो तो उसकी महादशा में विपत्ति या कष्ट होता है स्त्री या पुत्र पर विपत्ति आ सकती है। किसी गुरुजन को मृत्युतुल्य कष्ट हो सकता है। धर्म सम्बन्धी किसी कार्य में बाधा उत्पन्न हो सकती है व्यक्ति से कोई पाप कर्म हो सकता है। कुंडली में नवमेश अगर 6,8,12 भाव में हो और पाप ग्रहों से देखा जाता हो या पाप ग्रह साथ बैठे हों तो व्यक्ति कोई न कोई निंदनीय काम कर सकता है धर्म विरुद्ध काम कर सकता है , दुर्भाग्य उसका साथ नहीं छोड़ता और पैतृक सम्पति को नष्ट करने वाला होता है। यहां हम नवम भाव में बैठे प्रत्येक ग्रह का विश्लेषण करेंगे। कुंडली में यहां बैठा हुआ सूर्य व्यक्ति को कानून के क्षेत्र में सफलता दिला सकता है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी सफलता दिला सकता है। ऐसा व्यक्ति विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए जा सकता है। कुंडली में नवां घर धर्म का घर भी होता है और सूर्य आत्मा का कारक ग्रह है इसलिए यहां बलवान सूर्य धर्म-ध्वजा का रक्षक, धर्माधिकारी या धर्म का पालन करने वाला हो सकता है। ऐसा व्यक्ति आदर्शवादी हो सकता है, नैतिक भी हो सकता है साथ ही साथ अपने निश्चित लक्ष्य की तरफ बढ़ने वाला होता है। यंहा बैठा सूर्य व्यक्तित्व को निखार देता है। कुंडली के नवें घर में सूर्य वाले लोग यात्राएं बहुत करते हैं और उन यात्राओं से लाभ भी उठाते हैं खासकर चिकित्सा और रिसर्च से जुड़े क्षेत्रों के लोगों को सफल होते देखा गया है। अगर दूसरे ग्रहों का साथ भी मिल रहा हो तो अच्छे शिक्षक या किसी धार्मिक संस्था के प्रमुख हो सकते हैं। ऐसे लोग समाज में अपना अलग स्थान बनाने में कामयाब होते हैं। ऐसे लोग दूरदर्शी होने के साथ साथ धर्म या शिक्षा के प्रचार में रूचि लेते हैं और अच्छा योगदान देते हैं जिससे समाज को एक नयी दिशा मिल सकती है।ऐसे लोगों का अपना दृष्टिकोण होता है और ऊँचे सपने देखने वाले होते हैं। कुंडली के नवें घर में सूर्य के नकारात्मक परिणामों की बात करें तो ऐसे व्यक्ति अधर्म का साथ देने वाले हो सकते हैं , दंगा फसाद कराने में रूचि हो सकती है। विदेशों में देश विरोधी ताकतों के साथ मिलकर षड्यंत्र कर सकते हैं , प्रोपेगैंडा या गलत प्रचार कर सकते हैं। ऐसे लोग कानून को ताक पर रखकर काम करने वाले हो सकते हैं। अपने से बड़ों का अपमान करने वाले हो सकते हैं। समाजविरोधी कार्यों में लिप्त हो सकते हैं। सूर्य के सभी नकारात्मक परिणाम तभी मिल सकते हैं जब दूसरे ग्रहों का बिलकुल भी साथ नहीं मिल रहा हो। कुंडली में अगर चन्द्रमा नवें घर में बलवान होकर बैठा हो तो व्यक्ति का झुकाव अध्यात्म और धर्म की तरफ हो सकता है। दर्शन शास्त्र में रूचि हो सकती है। व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त करके एक अच्छा शिक्षक बन सकता है। ऐसे व्यक्ति प्रकांड पंडित और विद्वान् हो सकते हैं। अक्सर देखने में आया है कि नवें घर का चन्द्रमा व्यक्ति को लम्बी और धार्मिक यात्राएं कराता है। धर्म प्रचार के लिए भी विदेश यात्रा हो सकती है। संक्षेप में ऐसे व्यक्ति शिक्षा और शिक्षण से जुड़े हुए हो सकते हैं और इसी क्षेत्र में अपना नाम भी कमा सकते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं। अलग अलग संस्कृतियों और विचारधाराओं में रूचि रखने वाले ऐसे लोग मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी सफल हो सकते हैं। गुरु या दूसरे शुभ ग्रहों का साथ मिल रहा हो तो ऐसे लोगों का बचपन बहुत ही गुणी और सुघड़ माँ के सान्निध्य में मूल्यवान और नैतिक सबक सीखकर गुजरा हो सकता है। ऐसे लोगों के घर का वातावरण बहुत ही शुद्ध और संस्कारमयी हो सकता है। अपनी बारीक नजर और परखने की प्रवृत्ति के कारण ऐसे लोग किसी रिसर्च के काम से जुड़े हो सकते हैं और सफलता भी प्राप्त कर सकते हैं। कुंडली में चन्द्रमा नवें घर में अगर कमजोर अवस्था में बैठा हो और उसके नकारात्मक परिणामों की बात करें तो ऐसे व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर हो सकते है। व्यर्थ की यात्राएं कर सकते है। यात्राओं से नुक्सान उठाना पड़ सकता है। धर्म की अघोर विद्या या दूसरी तंत्र क्रियाओं से जुड़े हो सकते हैं। शिक्षा अधूरी रह सकती है। धर्म के नाम पर लोगों को गलत शिक्षा दे सकते हैं। कुंडली के नवें घर में बैठा मंगल ग्रह व्यक्ति को ज्ञान की तरफ आकर्षित कर सकता है| ऐसे लोगों को शैक्षिक डिग्री से बहुत लगाव हो सकता है और उसका दिखावा भी कर सकते हैं | ऐसे व्यक्ति प्रशासनिक कार्यों में रूचि ले सकते हैं | स्वाभिमानी स्वभाव के होने के कारण कई बार इनको अहंकारी समझ लिया जाता है। अपने विचारों और दृष्टिकोण को लेकर ये लोग कभी समझौता नहीं करते। अपने गुरुजनों और बड़े बुजुर्गों से वैचारिक विरोध हो सकता है। ऐसे व्यक्ति पब्लिकेशन के क्षेत्र में भी सफलता पा सकते हैं। धर्म प्रचार के कामों में लगा हो सकता है। बलवान मंगल दूर देशों की यात्राएं करा सकता है लेकिन वंहा जाकर बसने का विचार इस घर से नहीं किया जा सकता। अगर बारहवें घर में अनुकूल ग्रह हों तो निश्चित ही व्यक्ति विदेश में जा बसता है, क्योंकि मंगल की चौथी दृष्टि इस घर पर पड़ती है । भूमि से जुड़े मामलों से सफलता मिल सकती है लेकिन माता के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है। भाई बहनों से संबंधों में खटास आ सकती है। ऐसे व्यक्ति हमेशा आवेग में रह सकते है| उनके अंदर एक जूनून देखा जा सकता है इसलिए अक्सर लोग इनसे दूर रहना पसंद करते है | लेकिन ऐसे लोग अपनी महत्वाकांक्षा को कभी नहीं छोड़ते और अपनी मंजिल पा ही लेते है। ऐसे व्यक्ति कानून के क्षेत्र में अच्छा काम कर सकते है | कुंडली में अगर शनि की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति न्यायधीश बन सकता है। कुंडली में नवें घर में बैठा कमजोर मंगल व्यक्ति को व्यर्थ की यात्राएं करा सकता है अध्यात्म और ज्ञान की आड़ में पाखण्ड कर सकता है। गुरुजनों के नुक्सान कर सकता है |मात्र दिखावे के लिए कुछ काम में लगा हो सकता है लेकिन अंदर से ऊर्जाहीन या व्यर्थ के कामों में लगा हो सकता है। आचरण और व्यवहार में झूठा हो सकता है। सहकर्मियों और भाईबहनो से विवाद हो सकता है। दूसरों की आलोचना या चुगलखोरी कर सकता है। कुंडली में बुध नवें घर में अगर बलवान होकर बैठा हो तो व्यक्ति उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त कर सकता है। दर्शन के ग्रंथों का अध्ययन मनन कर सकता है। यहां बैठा बुध संचार से ज्यादा धर्म और शिक्षा पर फोकस कर सकता है। बुध यंहा अपनी सीखने की प्रवृत्ति में उत्सुक हो सकता है। कुंडली के नवें घर में बैठा बुध इस घर के गुणों को एक नयी ऊंचाई दे सकता है। ऐसे व्यक्ति लम्बी लम्बी यात्राएं कर सकते हैं वो धर्म और उसके प्रसार के लिए भी हो सकती हैं। ऐसे व्यक्ति विभिन्न संस्कृतियों में रूचि ले सकते हैं और उनके वृत्तांत बड़े ही दिलचस्प हो सकते हैं। बुध नवें घर में अगर बलवान होकर बैठा हो तो व्यक्ति को विश्लेषण की क्षमता तो देता ही है जिसमे आत्मविश्लेषण भी शामिल है , इसके साथ साथ कई चीजों के आपसी संबंधों को देखने की सूक्ष्म दृष्टि भी दे सकता है। जिसके कारण ऐसे व्यक्ति कार्य और कारण को खोज पाने की अद्भुत प्रतिभा के धनी हो सकते हैं। वैज्ञानिक और तार्किक चिंतन का धनी बनाता है। ऐसे लोग अपनी औपचारिक शिक्षा या एकेडेमिक्स की तरफ बहुत ज्यादा ध्यान दे सकते हैं। यहां बैठा बुध व्यक्ति को अधिकारसंपन्न बना सकता है, कई भाषाओँ का जानकार बना सकता है । कुंडली में बुध नवें घर में अगर कमजोर होकर बैठा हो और उसके नेगेटिव इफेक्ट्स की बात करें तो ऐसे व्यक्ति अपने गुरुजनों का अनादर कर सकते हैं। शिक्षा अधूरी रह सकती है या औपचारिक शिक्षा में बाधा आ सकती है। व्यवहार में जल्दबाजी या अपने विचारों को बार बार बदलने की प्रवृत्ति हो सकती है। व्यर्थ की यात्राएं कर सकता है या यात्राओं से कोई नुक्सान हो सकता है। बुध एक तटस्थ ग्रह है जो जिस ग्रह की संगति में आता है उसके अनुसार जातक को फल देता है। कुंडली में अगर बृहस्पति नवें घर में बलवान होकर बैठा हो तो व्यक्ति को धर्म के क्षेत्र में कानून के क्षेत्र में बहुत बड़ी सफलता दे सकता है। ऐसे व्यक्ति किसी धार्मिक संगठन या किसी धार्मिक संस्था से जुड़े हो सकते हैं या उसके मुखिया हो सकते हैं। ज्ञान के प्रचार प्रसार के लिए लम्बी दूरी की यात्राएं कर सकते हैं। लेकिन ऐसे लोगों को अपने वजन का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि बृहस्पति हर चीज में विस्तार दे सकता है। पहले घर पर दृष्टि होने के चलते ऐसे लोगों में मोटापा आ सकता है। ऐसे लोगों की संतान बहुत सुख देने वाली हो सकती है। अक्सर संतान इतनी सफल हो सकती है कि इनकी खुद कि पहचान संतान के नाम से होने लगती है। अगर दूसरे ग्रहों का साथ मिल रहा हो तो ऐसे लोगों की अपनी कोई बड़ी संस्था हो सकती है चाहे वो शिक्षा से जुड़ी हो,ज्ञान से ,धर्म से या कानून से। आज के दौर में ऐसे लोगों की प्रकाशन से जुड़ी कोई इकाई हो सकती या स्वतंत्र मीडिया इकाई के मालिक हो सकते हैं । कुंडली में बृहस्पति नवें घर में अगर कमजोर अवस्था में बैठे हों और उसके नकारात्मक परिणामों की बात करें तो व्यक्ति कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से परेशान रह सकता है। दूसरे ग्रहों का साथ नहीं मिल रहा हो तो व्यक्ति निराशावादी बन सकता है। संतान से परेशानी हो सकती है। भाई बहनों से वाद विवाद बना रह सकता है। समाज में कोई स्थान नहीं बन पाता। पुराने चल रहे कारोबार में घाटा होना शुरू हो सकता है। ऐसा व्यक्ति किसी पाखंड में शामिल हो सकता है। ज्ञानी होने का ढोंग कर सकता है। गले या पेट सम्बन्धी बीमारी से परेशान हो सकता है। कुंडली के नवें घर में शुक्र की स्थिति एक अलग व्यक्तित्व का निर्माण कर सकती है। क्योंकि नवें घर के कारक और शुक्र के कारक एक दूसरे के विपरीत नहीं तो बहुत अलग जरूर हैं। कुंडली में बैठे बलवान शुक्र को धर्म कानून और आध्यात्मिकता के साथ जीना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में शुक्र के अपने स्वाभाविक गुण और भाव अपने शिखर की तरफ नहीं जा पाते। ऊपर से देखने पर तो यही स्थिति लगती है लेकिन अगर शुक्र के मूल स्वभावों पर गौर किया जाये तो शुक्र फ्लेक्सिबल है , शुक्र अडाप्टेबल है , शुक्र विनम्र है , शुक्र सौंदर्य का प्रेमी है। कुंडली में शुक्र नवें घर में बलवान होकर बैठा हो तो यहां बैठा हुआ शुक्र धर्म और अध्यात्म में भी अपना रास्ता बखूबी बना सकता है। गहराई से विश्लेषण करें तो शुक्र यहां लम्बी यात्राएं करा सकता है। यात्राओं से ज्ञान इकट्ठा करते हुए उसका प्रसार भी कर सकता है। यहां बैठा शुक्र अलग अलग संस्कृतिओं का अध्ययन कर सकता है और विवाह भी अलग संस्कृति में कर सकता है। ऐसे लोगों का विदेशों से सम्बन्ध जरूर होता है। कल्पनाशीलता और रचनात्मकता शुक्र के स्वाभाविक गुण हैं , इसलिए ऐसे लोग अपनी यात्राओं के संस्मरण बहुत अच्छे से लिख पाते हैं। ऐसे लोग किसी कला से जुड़े हो सकते हैं। गायन नृत्य या लेखन में रूचि हो सकती है। कुंडली के नवें घर में बैठे कमजोर शुक्र के कारण व्यक्ति चिड़चिड़े स्वभाव का हो सकता है। उसे समय समय पर बेचैनी महसूस हो सकती है। सपनों की दुनिया में खोये रह सकते हैं। सोच विचार तो बहुत कर सकते हैं लेकिन चीजों को धरातल पर नहीं उतार पाते। कुंडली में शनि नवें घर में अगर बलवान होकर बैठा हो तो आपके लिए स्पष्ट संकेत है कि आपको धर्म, आध्यात्मिकता और दार्शनिकता में रूचि के साथ साथ उन पर लिखना और प्रचार करना चाहिए यही आपकी सफलता का राज है , हालांकि सफलता धीरे धीरे मिलेगी लेकिन शनि की महादशा में आपको नेटवर्किंग से अपार धन संपत्ति और सफलता मिलने के स्पष्ट संकेत मिलते हैं। छठे घर पर शनि की दृष्टि होने के कारण ऐसे लोगों को रोग और कर्ज़ों से ज्यादा परेशानी नहीं होती। यंहा बैठे हुए शनि के स्पष्ट संकेतों में से एक संकेत ये भी है कि ये जीवन आपको गहरी आध्यात्मिक और मानसिक तैयारियों के लिए है जिसमे आपके दृष्टिकोण में बदलाव लाना भी शामिल है और यही आपके विकास की संभावनाओं के द्वार खोलेगी। आपको नए ढंग से परिष्कृत करना और कर्म के सही पाठ पढ़ाना ही न्याय के देवता शनि का उद्देश्य है। क्योंकि आपका जीवन घुटन भरा हो सकता है शुरुवाती जीवन में घर और समाज का वातावरण आपके प्रतिकूल हो सकता है जिसके कारण आप उग्र स्वभाव के हो सकते हैं , आपके बुजुर्गों की सेहत को लेकर आप चिंतित हो सकते हैं या आप डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। आप अहंकारी हो सकते हैं या दूसरों से आदेश लेना आपको गवारा नहीं होता , आपके अंदर जानकारी छिपाने की आदत हो सकती है , इन सबके बावजूद अगर धैर्य और कर्म पर ध्यान दिया जाये और यंहा बैठे हुए शनि के संकेतों को समझा जाये तो ऐसे व्यक्ति जबरदस्त भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति कर सकते हैं। आपको पलायनवाद और आलस्य को छोड़ना होगा , अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स पर ध्यान देना होगा , छोटी और क्षुद्र बातों से ऊपर उठकर उच्च विचारों और पारलौकिक विषयों की तरफ जागरूक होना होगा।कुंडली में यंहा बैठा हुआ शनि व्यक्ति को लम्बी यात्राएं करा सकता है और यात्राओं से परेशानी भी दे सकता है , हालाँकि ऐसे लोग अपने पिता और गुरुजनों के प्रति अत्यधिक सम्मान दिखाने में रूचि रखते हैं लेकिन पिता के सुख में कमी कर सकता है , धार्मिक तीर्थयात्राओं में देरी हो सकती है। मित्र मण्डली और नेटवर्किंग में बाधाओं के बाद सफलता दे सकता है। उच्च शिक्षा में रूकावट दे सकता है। कुंडली में नवें घर का राहु व्यक्ति को पुण्य कर्म नहीं करने वाला लेकिन किसी कम्युनिटी, गाँव या नगर का नेता बना सकता है । यंहा बैठा राहु व्यक्ति को बुद्धिमान भी बनाता है और एक अच्छा वक्ता भी। अगर बाकी ग्रहों की स्थिति अच्छी हो तो नवें घर का राहु राजनीति में अच्छी सफलता दिला सकता है| क्योंकि उसकी भाषण कला से लोग प्रभावित हो सकते हैं । सामाजिक रूप से ऐसा जातक अपने से बड़े स्टेटस वाले व्यक्ति से विवाह कर सकता है, लेकिन इससे उसको परेशानी ही मिलती है । वो कानून की अनदेखी करने वाला हो सकता है , धर्म की उपेक्षा करने वाला और अनैतिक भी हो सकता है| इसलिए राहु का आपके लिए साफ़ सन्देश है कि आपको धर्म और अध्यात्म में रूचि लेनी चाहिए| उसको सीखना और समझना चाहिए और उसके बाद उसको प्रसारित भी करना चाहिए| दूसरे लोगों तक पहुँचाना चाहिए ,इसी में आपकी सफलता छिपी है । प्रेम संबंधों के मामले में आप भावनात्मक रूप से तो मजबूत हो सकते हैं| लेकिन कई बार अपनी ही भावनाओं को नहीं समझ पाने से आपके अंदर द्व्न्द चलते रह सकते हैं या कह सकते हैं आपके अपने आप से संघर्ष जारी रह सकते है|आप रिश्तों में संघर्ष और भ्रम के शिकार हो सकते हैं |इसलिए राहु का आपके लिए साफ़ सन्देश है कि मैडिटेशन करें और प्रैक्टिकल बनने और प्रयोग करने की तरफ बढ़ें| इससे आपके अंदर जो शिक्षक की भावना है उसको मजबूती मिलेगी और आपके जीवन में एक शान्ति का अनुभव होगा । कुंडली में राहु संचार और संचार माध्यम का भी कारक ग्रह है| नवें घर में बैठा राहु जानकारी को इकट्ठा करने और उसको प्रसारित करने की तरफ प्रेरित करता है| लेकिन इसका पूरा फायदा लेने के लिए अपने ज्ञान और सूचना को प्रसारित करें| अपने मन की गहराईओं में गोते लगाएं और वंहा से जो विचार पैदा हुए हैं उनको धरातल पर लेकर आएं और दूसरे लोगों तक पहुचायें | विषय अगर धर्म संस्कृति या परम्परा से सम्बंधित हो तो और भी अच्छा , यही आपके लिए मूल मन्त्र है । कुंडली के नवम भाव में केतु धर्म ध्वजा बन सकता है। कुंडली में नवां घर धर्म, संस्कृति, परंपरा और कानून का घर भी माना जाता है | इसलिए नवें घर में बैठे केतु वाले लोगों को अपना ध्यान अन्य पारम्परिक गुप्त विद्याओं की तरफ बढ़ना चाहिए । लेकिन ध्यान रहे ये सिर्फ मन तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसको विचारों के माध्यम से प्रसारित भी करना होगा| क्योंकि आप सिर्फ बौद्धिक स्तर पर अधिक सक्रिय रह सकते हैं । आपको व्यर्थ की व्यस्तता और गपशप से दूर रहना चाहिए । आपको फोकस्ड होना पड़ेगा क्योंकि आपकी मन की स्थिति ठहराव पसंद नहीं करती ,इसलिए एक विषय से दुसरे विषय पर घूमते रह सकते हैं । आपको जीवन में ज्यादा समझौते नहीं करने चाहिए और खुद के प्रति ईमानदारी बरतनी चाहिए । आपको अपनी बातों पर अडिग रहना सीखना होगा |अपने कॉन्फिडेंस का उपयोग दूसरों की भलाई में लगाने का प्रयास करना चाहिए ।आपको छोटे छोटे संशयों, संदेहों और दैनिक जीवन की क्षुद्रताओं से ऊपर उठना होगा । आपको भावनात्मक और मानसिक स्तर से आगे विचारों को मूर्त रूप देने की तरफ कोशिश करनी होगी । आप इंटिमेसी में सहज महसूस नहीं करते और जीवन की जटिलताओं से मुक्त होना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए जरुरी प्रयास नहीं कर पाते| इसलिए केतु की आपसे अपेक्षा है कि आप फोकस्ड रहें और अपने आप के साथ स्वाभाविक बनें , सहज बने । वैसा ही व्यवहार खुद के साथ करने की कोशिश करें जैसा अक्सर आप दूसरों की सहायता करते हुए , उन्हें सलाह देते हुए या गाइड करते हुए करते हैं । सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि नवम भाव में कौन सी राशि है , नवम भाव में कौन सा ग्रह है उसके साथ कौन से ग्रह हैं उस पर किसकी दृष्टि है, नवमेश कंहा है उस पर किसकी दृष्टि है।

Saturday 7 June 2014

मृत लोगों के सपने से मुक्ति के तरीके और मृत लोगो के सपने में आने के फल


1. यदि किसी व्यक्ति को सपने में मृत परिजन या कोई
व्यक्ति दिखाई देता है तो उसे उस मृत व्यक्ति के नाम पर रामायण या श्रीमद्भागवत का पाठ करवाने के साथ-साथ
गरीब बच्चों को मिठाई खिलानी चाहिए. इन सब
के अलावा मृत व्यक्ति के नाम पर विधि-विधान के साथ तर्पण
करना चाहिए.
2. मृत्यु के पश्चात किसी व्यक्ति का बार-बार सपने में
आना निश्चित रूप से किसी गंभीर बात की ओर इशारा करता है. शास्त्रों के अनुसार
ऐसा माना जाता है कि कि यदि मरने से पहले
किसी व्यक्ति की आत्मा अतृप्त और
असंतुष्ट रह गई है तो उसकी आत्मा अशांत और
भटकती रहती है. इसीलिए
वह सपने में आकर संबंधित व्यक्ति को संकेत देने की कोशिश करती है. इन हालातों में उस मृत
व्यक्ति के परिवार
को उसकी आत्मा की शांति के लिए पुण्य
कर्म, दान आदि करना चाहिए.
3. जो मृत व्यक्ति आपके सपने में आकर अत्याधिक क्रोध करता है
तो इसका अर्थ है कि वह आपसे कुछ चाहता है. उसके नाम पर मीठा दान करने के साथ तर्पण किया जाना चाहिए.
4. आपके सपने में आकर अगर मृत व्यक्ति किसी काम
के लिए बोलता है, वह काम अगर संभव हो तो अवश्य
ही वह काम पूरा करना चाहिए.
5. सपने में आने वाला मृत व्यक्ति प्रसन्न है तो इसका अर्थ है
उसकी आत्मा बेहद संतुष्ट है. लेकिन फिर भी आपको उनके नाम पर समय-समय पर दान करते
रहना चाहिए.
6. कभी-कभी ऐसा भी होता है
जब किसी अत्याधिक प्रिय और निकट
संबंधी के बिछुड़ने पर आपको उनकी बहुत
याद आती है. उनके बारे में बार-बार सोचने के कारण भी आपको वह सपने में दिखाई देते हैं.
लगातार हो रही असफलताओं से निराश
नहीं होना चाहिए। कभी-
कभी गुच्छे
की आखिरी चाबी भी ताला खोल
देती हैं।.....सदा सकारात्मक रहें। - अज्ञात स्वप्न ज्योतिष के अनुसार जाने
==============================
===========
1- स्वप्न ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को सपने में
ऐसा दिखाई दे कि वह किसी मरे हुए इंसान को पुकार रहा है, तो उस पर
विपत्ति आने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसे कई प्रकार के दु:खभी भोगने पड़ते हैं।
2- यदि सपने में कोई मुर्दे से बात करता है तो स्वप्न ज्योतिष के
अनुसार बहुत
ही जल्दी उसकी सभी इच्छाएं
पूरी हो जाती हैं। जो व्यक्ति सपने में
प्रेतात्मा से मैत्री कर लेता है उसके उद्योग व व्यवसाय में वृद्धि होती है।
3- सपने में जिसे ताबूत में मुर्दा रखा दिखाई दे, निकट भविष्य में
उसके
साथ कोई दुर्घटना होने
की संभावना रहती है।
4- यदि किसी व्यक्ति को सपने में साफ- सुथरी शमशान दिखाई दे, तो उसके व्यापार में
वृद्धि होती है।
5- जिस व्यक्ति को सपने में स्वयं की शवयात्रा दिखाई दे
उसकी उम्र बढ़ जाती है। परंतु यदि कोई
रोगी ऐसा स्वप्न देखता है तो स्वप्न ज्योतिष के अनुसार
उसकी शीघ्र ही मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है।
6- स्वप्न में जो किसी की कब्र पर
लिखी हुई पंक्तियां पढ़ता है, उसे उच्च पद प्राप्त
होता है। स्वप्न में जिसे खुदी हुई कब्र दिखाई दे उसे
प्रेम में निराशा प्राप्त होती है।
7- सपने में जिसे अपनी पत्नी का शव दिखाई दे तो वह मनुष्य अनेक रोगों से पीडि़त होता है।
8- यदि सपने में किसी की शवयात्रा दिखाई दे
तो उसका दांपत्य जीवन कलहपूर्ण व्यतीत
होता है व संतान सुख भी कम
ही मिलता है।
9- जिस स्त्री को स्वप्न में राक्षस दिखाई दे तो उसे वास्तविक जीवन में
पति अथवा प्रेमी से धोखा मिलता है। 10- स्वप्न में
जो विष पीकर मर जाए तो वह
रोगी हो जाता है तथा अनेक दु:ख भोगता है। जय महादेव

Saturday 22 March 2014

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हरबरस मेले , वतन  पर मिटने वालों का वाकी यही निशाँ होगा

जब 23 वर्ष के भगत सिंह शहीद हुए, उस वक्त गांधी जी की उम्र 62 वर्ष थी पर लोकप्रियता के मामले में भगत सिंह कहीं से कम नहीं थे. और एक समय भगत सिंह की लोकप्रियता महात्मा गाँधी से उपर थी यही बात कांग्रेस के लिए चिंता का सबब थी ..

महात्मा गाँधी ने भगत सिंह के फांसी की सजा माफ़ करवाने के लिए अपने पत्र में इतना ही लिखा कि इनको फाँसी न दी जाए तो अच्छा है. इससे ज़्यादा ज़ोर उनकी फाँसी टलवाने के लिए गांधी ने नहीं दिया.

गांधी ने इरविन के साथ 5 मार्च, 1931 को हुए समझौते में भी इस फाँसी को टालने की शर्त शामिल नहीं की. जबकि फाँसी टालने को समझौते का हिस्सा बनाने के लिए उनपर कांग्रेस के अंदर और देशभर से दबाव था........

आखिर इसके पीछे गाँधी जी की मंशा क्या थी

वहीँ दूसरी और गांधी की बजाय सुभाषचंद्र बोस इस फाँसी के सख़्त ख़िलाफ़ थे और कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने गांधी से परे जाकर इस फाँसी के विरोध में दिल्ली में 20 मार्च, 1931 को एक बड़ी जनसभा भी की. गांधी जी के विरोध के बाद भी .......

गाँधी जी को भगत सिंह के आदोलन में हिंसा दिखाई दी ..लेकिन अंग्रेजो ने जिस तरह से नियम के खिलाफ जाकर एक दिन पहले रात में फांसी दे दी ..और फिर उनके शरीर को क्षत विक्षत करके व्यास नदी के किनारे जला दिया और भीड़ को आते देख कर उनके शरीरों को नदी में बहा कर भाग गए ......इस कृत्य में गांधी जी को पता नही कहाँ से अहिंसा दिखाई दी और न अंग्रेजो के सामने उनके इस कृत्य की भर्त्सना की और न ही कभी अनशन पर बैठे ...

शायद भगत सिंह की मौत गांधी जी की नैतिक हार थी ...और भगत सिंह हमेशा के लिए देश के नौजवानों के प्रेरणा स्त्रोत बन कर अमर हो गए .......

भगत सिंह , राजगुरु और सुख देव की शहीदी दिवस पर इन अमर शहीदों को शत शत नमन

Sunday 23 February 2014

मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो

                  मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो
मेरा इश्क हो तेरा हुस्न हो , तो फिर इश्क ओ हुस्न की बात हो |

कभी मैं मिलूँ कभी तू मिले , कभी हमारी मुलाकात हो |
कभी तू हो चुप कभी मैं  हूँ चुप , कभी दोनों ही चुपचाप हो |
कभी ज़िक्र हो तेरा कोई बात हो , कभी ख़ामोशी कभी गुफ्तगू हो |
कभी मैं तेरा कभी तू मेरी , कभी एक दूजे के सिर्फ हम हो |
कभी साथ मैं तेरे कभी  साथ तू मेरे , कभी साथ एक दूजे के हम हो |
कभी सोहबतें कभी रंजिशें ,कभी नजदीकियां कभी तन्हा करवटें हो |
कभी उल्फतें कभी नफरतें , कभी जीत हो कभी हार हो |
कभी फूल हो कभी धुल हो नसीब में कभी याद रहे कभी भूल हो |
राहें मुस्कराती प्यार में खिलते फूल बन  कर बहार में |
न ज़मीन कोई , न फलक कोई , न वजूद हो न ही जात हो |


                    
----------------------  सिर्फ -----------------------------


           मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो 
           मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो