Saturday 7 June 2014

मृत लोगों के सपने से मुक्ति के तरीके और मृत लोगो के सपने में आने के फल


1. यदि किसी व्यक्ति को सपने में मृत परिजन या कोई
व्यक्ति दिखाई देता है तो उसे उस मृत व्यक्ति के नाम पर रामायण या श्रीमद्भागवत का पाठ करवाने के साथ-साथ
गरीब बच्चों को मिठाई खिलानी चाहिए. इन सब
के अलावा मृत व्यक्ति के नाम पर विधि-विधान के साथ तर्पण
करना चाहिए.
2. मृत्यु के पश्चात किसी व्यक्ति का बार-बार सपने में
आना निश्चित रूप से किसी गंभीर बात की ओर इशारा करता है. शास्त्रों के अनुसार
ऐसा माना जाता है कि कि यदि मरने से पहले
किसी व्यक्ति की आत्मा अतृप्त और
असंतुष्ट रह गई है तो उसकी आत्मा अशांत और
भटकती रहती है. इसीलिए
वह सपने में आकर संबंधित व्यक्ति को संकेत देने की कोशिश करती है. इन हालातों में उस मृत
व्यक्ति के परिवार
को उसकी आत्मा की शांति के लिए पुण्य
कर्म, दान आदि करना चाहिए.
3. जो मृत व्यक्ति आपके सपने में आकर अत्याधिक क्रोध करता है
तो इसका अर्थ है कि वह आपसे कुछ चाहता है. उसके नाम पर मीठा दान करने के साथ तर्पण किया जाना चाहिए.
4. आपके सपने में आकर अगर मृत व्यक्ति किसी काम
के लिए बोलता है, वह काम अगर संभव हो तो अवश्य
ही वह काम पूरा करना चाहिए.
5. सपने में आने वाला मृत व्यक्ति प्रसन्न है तो इसका अर्थ है
उसकी आत्मा बेहद संतुष्ट है. लेकिन फिर भी आपको उनके नाम पर समय-समय पर दान करते
रहना चाहिए.
6. कभी-कभी ऐसा भी होता है
जब किसी अत्याधिक प्रिय और निकट
संबंधी के बिछुड़ने पर आपको उनकी बहुत
याद आती है. उनके बारे में बार-बार सोचने के कारण भी आपको वह सपने में दिखाई देते हैं.
लगातार हो रही असफलताओं से निराश
नहीं होना चाहिए। कभी-
कभी गुच्छे
की आखिरी चाबी भी ताला खोल
देती हैं।.....सदा सकारात्मक रहें। - अज्ञात स्वप्न ज्योतिष के अनुसार जाने
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1- स्वप्न ज्योतिष के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को सपने में
ऐसा दिखाई दे कि वह किसी मरे हुए इंसान को पुकार रहा है, तो उस पर
विपत्ति आने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसे कई प्रकार के दु:खभी भोगने पड़ते हैं।
2- यदि सपने में कोई मुर्दे से बात करता है तो स्वप्न ज्योतिष के
अनुसार बहुत
ही जल्दी उसकी सभी इच्छाएं
पूरी हो जाती हैं। जो व्यक्ति सपने में
प्रेतात्मा से मैत्री कर लेता है उसके उद्योग व व्यवसाय में वृद्धि होती है।
3- सपने में जिसे ताबूत में मुर्दा रखा दिखाई दे, निकट भविष्य में
उसके
साथ कोई दुर्घटना होने
की संभावना रहती है।
4- यदि किसी व्यक्ति को सपने में साफ- सुथरी शमशान दिखाई दे, तो उसके व्यापार में
वृद्धि होती है।
5- जिस व्यक्ति को सपने में स्वयं की शवयात्रा दिखाई दे
उसकी उम्र बढ़ जाती है। परंतु यदि कोई
रोगी ऐसा स्वप्न देखता है तो स्वप्न ज्योतिष के अनुसार
उसकी शीघ्र ही मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है।
6- स्वप्न में जो किसी की कब्र पर
लिखी हुई पंक्तियां पढ़ता है, उसे उच्च पद प्राप्त
होता है। स्वप्न में जिसे खुदी हुई कब्र दिखाई दे उसे
प्रेम में निराशा प्राप्त होती है।
7- सपने में जिसे अपनी पत्नी का शव दिखाई दे तो वह मनुष्य अनेक रोगों से पीडि़त होता है।
8- यदि सपने में किसी की शवयात्रा दिखाई दे
तो उसका दांपत्य जीवन कलहपूर्ण व्यतीत
होता है व संतान सुख भी कम
ही मिलता है।
9- जिस स्त्री को स्वप्न में राक्षस दिखाई दे तो उसे वास्तविक जीवन में
पति अथवा प्रेमी से धोखा मिलता है। 10- स्वप्न में
जो विष पीकर मर जाए तो वह
रोगी हो जाता है तथा अनेक दु:ख भोगता है। जय महादेव

Saturday 22 March 2014

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हरबरस मेले , वतन  पर मिटने वालों का वाकी यही निशाँ होगा

जब 23 वर्ष के भगत सिंह शहीद हुए, उस वक्त गांधी जी की उम्र 62 वर्ष थी पर लोकप्रियता के मामले में भगत सिंह कहीं से कम नहीं थे. और एक समय भगत सिंह की लोकप्रियता महात्मा गाँधी से उपर थी यही बात कांग्रेस के लिए चिंता का सबब थी ..

महात्मा गाँधी ने भगत सिंह के फांसी की सजा माफ़ करवाने के लिए अपने पत्र में इतना ही लिखा कि इनको फाँसी न दी जाए तो अच्छा है. इससे ज़्यादा ज़ोर उनकी फाँसी टलवाने के लिए गांधी ने नहीं दिया.

गांधी ने इरविन के साथ 5 मार्च, 1931 को हुए समझौते में भी इस फाँसी को टालने की शर्त शामिल नहीं की. जबकि फाँसी टालने को समझौते का हिस्सा बनाने के लिए उनपर कांग्रेस के अंदर और देशभर से दबाव था........

आखिर इसके पीछे गाँधी जी की मंशा क्या थी

वहीँ दूसरी और गांधी की बजाय सुभाषचंद्र बोस इस फाँसी के सख़्त ख़िलाफ़ थे और कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने गांधी से परे जाकर इस फाँसी के विरोध में दिल्ली में 20 मार्च, 1931 को एक बड़ी जनसभा भी की. गांधी जी के विरोध के बाद भी .......

गाँधी जी को भगत सिंह के आदोलन में हिंसा दिखाई दी ..लेकिन अंग्रेजो ने जिस तरह से नियम के खिलाफ जाकर एक दिन पहले रात में फांसी दे दी ..और फिर उनके शरीर को क्षत विक्षत करके व्यास नदी के किनारे जला दिया और भीड़ को आते देख कर उनके शरीरों को नदी में बहा कर भाग गए ......इस कृत्य में गांधी जी को पता नही कहाँ से अहिंसा दिखाई दी और न अंग्रेजो के सामने उनके इस कृत्य की भर्त्सना की और न ही कभी अनशन पर बैठे ...

शायद भगत सिंह की मौत गांधी जी की नैतिक हार थी ...और भगत सिंह हमेशा के लिए देश के नौजवानों के प्रेरणा स्त्रोत बन कर अमर हो गए .......

भगत सिंह , राजगुरु और सुख देव की शहीदी दिवस पर इन अमर शहीदों को शत शत नमन

Sunday 23 February 2014

मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो

                  मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो
मेरा इश्क हो तेरा हुस्न हो , तो फिर इश्क ओ हुस्न की बात हो |

कभी मैं मिलूँ कभी तू मिले , कभी हमारी मुलाकात हो |
कभी तू हो चुप कभी मैं  हूँ चुप , कभी दोनों ही चुपचाप हो |
कभी ज़िक्र हो तेरा कोई बात हो , कभी ख़ामोशी कभी गुफ्तगू हो |
कभी मैं तेरा कभी तू मेरी , कभी एक दूजे के सिर्फ हम हो |
कभी साथ मैं तेरे कभी  साथ तू मेरे , कभी साथ एक दूजे के हम हो |
कभी सोहबतें कभी रंजिशें ,कभी नजदीकियां कभी तन्हा करवटें हो |
कभी उल्फतें कभी नफरतें , कभी जीत हो कभी हार हो |
कभी फूल हो कभी धुल हो नसीब में कभी याद रहे कभी भूल हो |
राहें मुस्कराती प्यार में खिलते फूल बन  कर बहार में |
न ज़मीन कोई , न फलक कोई , न वजूद हो न ही जात हो |


                    
----------------------  सिर्फ -----------------------------


           मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो 
           मेरा इश्क हो और तेरा हुस्न हो



 

सेकुलरो के दुष्प्रचार का शिकार मैकाले और उसकी शिक्षा नीति

सेकुलरो के दुष्प्रचार का शिकार मैकाले और उसकी शिक्षा नीति

२फ़रवरी १८३५ को ब्रिटेन की संसद में मैकाले की भारत के प्रति विचार और योजना मैकाले के शब्दों में


" मैं भारत के कोने कोने में घुमा हूँ..मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखाई दिया, जो भिखारी हो ,जो चोर हो, इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है,इतने ऊँचे चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं,की मैं नहीं समझता की हम कभी भी इस देश को जीत पाएँगे,


भारत में 'थामस बैबिंगटन मैकाले' के विरुद्ध दुष्प्रचार है, वह हिन्दू हित का बहुत बड़ा समर्थक था। पर भारत के सेक्युलरों ने अपने कुकृत्यों को उस पर थोप कर उसे गालियाँ सुनवा रहे हैं।

हिन्दू इतने बेवकूफ हैं की सेक्युलरों की जाल में फंस कर अपने एक बहुत बड़े शुभचिंतक को गालियाँ देते हैं। इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव यह है कि विदेशों में अब कम हीं लोग हिन्दुत्व के समर्थन में खड़े हो पाते हैं, उन्हें डर होता है कि कहीं हिन्दू हीं उन्हें अपना शत्रु ना समझ ले।


सम्पूर्ण भारत में 'एंग्लो-संस्कृत' कालेज इस्ट इण्डिया कंपनी/ब्रिटिश इंडिया शाषण से किसने खुलवाया था?

वह कौन सा नीति निर्माता था जिसने कहा था कि भारतियों की शिक्षा को अरबी-फारसी एवं उर्दू जैसे जाहिल और गर्त-गामी सभ्यताओं की भाषा से मुक्त करना होगा, तभी भारतीयों  का कल्याण हो सकता है।

मेकाले ने संस्कृत को सम्पूर्ण भारत की एक मात्र भाषा माना था परन्तु उस ने यह भी अपनी रिपोर्ट में प्रस्तुत किया था की ७ ० ० वर्षों की इस्लामी गुलामी ने हिन्दुओ की इस उत्कृष्ट भाषा का लगभग सफाया कर दिया है। अतः जब तक भारतीय संस्कृत को पुनः स्थापित नहीं कर लेते तब तक उनको मुस्लिम भाषाओँ एवं संस्कृति की गन्दी छाया से मुक्त करने के लिए अंग्रेजी की आवश्यकता है। फिर हिन्दू 'एंग्लो-संस्कृत' कालेजों के मध्यम से संस्कृत पढ़ कर अपने गौरव को प्राप्त करेंगे।

मेकाले को इस लिए मुस्लिम और सेक्युलर गाली देते हैं कि उस ने अरबी, फारसी और उर्दू को जड़ से हीं नकार दिया था।

यहाँ ध्यान देने वाला विषय यह है कि मेकाले अपनी रिपोर्ट की प्रस्तुति किसी बंद कमरे में बैठ कर स्कॉच पीते हुए नहीं किया था, बल्कि इंग्लॅण्ड से भारत की कष्टप्रद समुद्री यात्रा एवं सम्पूर्ण भारत में भ्रमण (तब रेल भी नहीं था) कर के अनेक भारतीय विद्वानों से विचार विमर्श करने के बाद दिया था। ब्रिटिश पार्लियामेंट में प्रस्तुत उसकी रिपोर्ट में पुरी एवं श्रृंगेरी के जगतगुरु शंकराचार्य से मीटिंग का सविस्तार उल्लेख है। आपको यहाँ यह बताना भी आवश्यक है कि अरबी फारसी और उर्दू के कुप्रभाव से भारतियों के सांस्कृतिक एवं धार्मिक इस्लामीकरण को मेकाले ने बहुत अच्छी तरह पहचाना और उस से हिन्दुओं को बचा लिया।

मेकाले से ईश्वरचंद्र विद्यासागर एवं राजा राममोहन राय ने विस्तार पूर्वक (लगभग) तीन महीने तक मेकाले के साथ उस रिपोर्ट के लिए काम किया था। इन दोनों महानुभाओं एवं श्री बंकिम चन्द्र चटोपाध्याय जी का यह अभिमत था कि लगभग १ ० ० ० वर्ष की अनवरत दासता ने भारतीयों को विश्व के एनी राष्ट्रों की तुलना में बहुत पीछे छोड़ दिया है, अतः यदि अंग्रेज अपना ज्ञान, विज्ञान, अभियांत्रिकी, चिकित्षा शास्त्र, दर्शन, न्याय आदि दे कर भारतियों को इस्लाम की ताबेदारी से मुक्त करा दें तो हम २ ५ करोड़ हिन्दू अंग्रेजों के बहुत ऋणी होंगे। मेकाले ने राजा राममोहन राय का उल्लेख करते हुवे यह भी कहा था कि जब भारतीय जाहिल और बर्बर मुसलमानों की भाषा को सैकड़ो सालों तक बेमन से ढो सकते हैं तो ज्ञान विज्ञानं से परिपूर्ण अंग्रेजी को तब तक के लिए स्वीकार करना चाहिए जब तक की हम सम्पूर्ण भारत के लिए संस्कृत को पुनर्स्थापित नहीं कर लेते।

सेक्युलरों ने मेकाले की स्थापित इस प्रक्रिया को नष्ट कर, दोस उसके माथे मढ़ दिया और हम हिन्दू मेकाले को गाली दे रहे हैं।

तब तक के लिए दो और मूलभूत बातें आपको जाननी चाहिए -

(१) मेकाले स्वयं इसाइयत का विरोधी था, अतः उस ने कान्वेंट शिक्षा का विरोध किया और उस की अपेक्षा सरकारी स्कूल का एक पूरा तंत्र खड़ा करवाया था; जिसे अब सोनिया की सरकार नष्ट कर रही है।

(२) संस्कृत में जो ज्ञान है उसको सम्पूर्ण विश्व तक पहुँचाने के निमित मेकाले ने ब्रिटिश पार्लियामेंट में एक प्रस्ताव पारित करवाया था, उसके बाद ऑक्सफोर्ड में संस्कृत एवं वैदिक ज्ञान के अध्यन का केंद्र खुला। मेकाले के अनुशंसा से हीं मैक्समूलर को भारत आ कर वेदों का अनुवाद करने का कार्य सौप गया था।

एक और महत्वपूर्ण विषय है, मेकाले हैदराबाद के निज़ाम से भी मिले थे और निज़ाम ने उन्हें अरबी को भारत की शिक्षा का माध्यम बनाने की प्रस्तावना के लिए 'रिश्वत' की पेशकश की थी। मेकाले ने उस के पेशकस को ठुकराते हुवे अरबी, फारशी और उर्दू को नाकारा और तर्क पूर्वक यह प्रमाणित किया कि मदरसा शिक्षा क्यों रोकी जानी चाहिए।

पुणे विश्वविद्यालय का गणित एवं संस्कृत विभाग मेकाले की देंन है।


शायद आज जरूरत मैकाले के  बारे में निष्पक्ष मूल्याङ्कन की आवश्यकता है..लेकिन क्या हमारे तथाकथित सेक्युलर रहनुमा ऐसा होने देंगे .इसमें  संदेह है ये छोटा सा प्रयास डॉ राकेश रंजन के सहयोग और उनके द्वारा उपलब्ध करवाई गयी जानकारी के द्वारा ही संभव हो पाया है ताकि मैकाले के बारे में जो भ्रान्तिया इस देश में फैलाई गयी है वो दूर की जा सके

Thursday 13 February 2014

मूलांक नौ (९)



मूलांक------------९
मूलांक: ९ (९, १८, २७). मुख्य ग्रह: मंगल.
किसी भी महीने की ९, १८, २७ तिथियों को जन्म लेने वाले लोग मूलांक ९ के अंतर्गत आते है और आपका स्वामी ग्रह मंगल होता है. मंगल से शासित होने के कारण विचारशीलता आपका मुख्य लक्षण होता है. इस अंक के लोगो में मंगल की विशेषताए पायी जाती है जैसे जुझारूपन और रक्षा करने की प्रवत्ति. दान करने की प्रवत्ति, मानव सेवा, परोपकारी, आदर्शवादी, कला में रूचि, प्रस्तुति कर्ण की विशेषता. यह शौर्य, आवेश और हिंसा का प्रतीक है। मूलांक 9 वाले व्यक्ति उर्जावान एवं नटखट होते हैं। हंसी-मजाक एवं मनोरंजन इन्हें काफी पसंद होता है। अपने खुशमिजाज स्वभाव के कारण दोस्तों में यह काफी लोकप्रिय होते हैं। दूसरों को खुशी देते हैं लेकिन अपना दुःख दर्द किसी से नहीं बांटते। अपनी समस्याओं का समाधान खुद ही निकालने की कोशिश करते हैं। आप चाहते हो कि घर के सभी लोग आपकी सेवा मे लगे रहे और आप घर के मुखिया बन कर रहना चाहते है.
आप क्रोधी स्वाभाव के है. आपको क्रोध शीघ्र आता है. आप अपने कार्य मे किसी भी हस्तक्षेप को पसन्द नही करते है. उसमे पुर्ण नियंत्रण चाहते है. उपाय तथा साधन जुटाने मे आप कुशल है. आपमे संगठन शक्ति गजब की है.आप किसी के अधीन काम करना नही चाहते है. आप जीवन को थोड़ा सा ही सही लेकिन चमकते हुये गुजारना चाहते है. आप अपने ग्रह के कारण योद्धा होना चाहते है.
 ये साहसिक कार्य करते हैं जिनके कारण इनको यश प्राप्त होता है.? आपका विश्वास दुनिया को चकाचौंध करने मे होता है. इनमे अदम्य उत्साह होता है. इसी साहस के बल पे ये सर्कस घुड़दौड़ आदि मे ऐसे काम करते है जिंसे इनकी जान को खतरा रहता है. आप अनुसाशनप्रिय है और अपने अधीन कार्य करने वाले लोगों का खुब ख्याल रखते है.किसी भी कठोर से कठोर कार्य को करने मे ये सक्षम है.? अत्यधिक गुस्से वाले, संवेदनशील, स्वतंत्र, तथा खुदमुख्तार होना इनकी प्रमुख विशेषता है.
 ये उपरी तड़क भड़क या दिखावे को बहुत पसन्द करते है. शान से रहना चाहते है. इस वजह से इन्हे हानि भी उठानी पड़ती है. सामन्य जन इनको कठोर हृदय का मानते है, परंतु प्रेम के मामले मे ये फूल के भाति कोमल होते है. कोई भी चतुर महिला इन्हे लम्बे समय तक मुर्ख बना सकती है.
ये अपनी आलोचना सहन नही कर पाते है. इनका मानना होता है कि ये जो भी करते है वही सही है. अपने सम्बन्ध मे इन्हे स्वयं की राय बहुत अच्छा लगती है.? अपने क्रोधी स्वाभाव के कारण ये अनेक शत्रु बना लेते है या कहें कि लोग शत्रु बन जाते है.
 स्वभाव : मनुष्य की मानसिक शक्ति भी ग्रहों और जन्म अंकों के अनुसार तय होती है। यही कारण है कि मूलांक ९ के अधीन जन्म लेने वाले मानसिक रूप से बहुत परिपक्व होते हैं। साहसी कार्यो को अंजाम देने में मूलांक ९ के जातकों से कोई स्पर्धा नहीं कर सकता।ये क्रोधी, हठी स्वभाव के तथा बहादुर होते हैं। इनके स्वभाव में अक्खड़ता, जल्दबाजी तथा फुर्ती होती है। ये स्वतंत्र मन के होते हैं। इस स्वभाव के कारण इनके शत्रु अधिक बन जाते हैं। 9 अंक से प्रभावित जातक तेजस्वी व उग्र स्वभाव के होते हैं।
यह बहुत ही बुद्घिमान एवं पढ़ाई में होशियार होते हैं। अपनी बुद्घि से यह काफी तरक्की करते हैं, भाग्य भी इनका हमेशा साथ देता है। इन्हें विरासत में धन सम्पत्ति मिलती है और खुद भी अच्छा कमाते हैं। यह लीक पर चलने की बजाय खुद को परिस्थितियों के अनुसार ढ़ाल लेने में विश्वास रखते बहुधा ही ९ के अंक से प्रभावित लोग क्रोधी होते हैं और अपने आगे किसी को तवज्जो नहीं देते। इस अंक वाले किसी की भी आलोचना का कड़ा विरोध करते है. अभिमानी नही होने के बावजूद भी ये स्वयं को कुछ अधिक ही भला समझते है. अपनी योजनाओ मे ये किसी भी प्रकार क हस्तक्षेप पसन्द नही करते है.

स्वास्थ्य : इनका शरीर तगड़ा और फुर्तीला होता है, लेकिन अकस्मात तापमान बढ़ने और बुखार चढ़ने की प्रवृत्ति रहती है। दुर्घटनाओं का डर रहता है। ऐसे व्यक्ति उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी और पक्षाघात के भी शिकार हो सकते हैं। जीवन में सर्जरी की भी सम्भावना रहती है 9 अंक वाले पत्नी से संतुष्ट नही रह पाते है. जवानी के दिनो मे अगर आप किसी नशे का शिकार हो जाते है तो ये आपको बुढापे मे कष्ट देगा

व्यवसाय एवं कार्यो में रुचि : मूलांक ९ वाले व्यक्ति जोखिम, अनुशासन, शासन एवं तीक्ष्ण बुद्धि वाले रोजगारों एवं व्यवसायों में अधिक होते हैं। ये इंजीनियर, डॉक्टर, ड्राइवर, सर्जन, कैमिस्ट आदि पेशों में सफल रहते हैं। ये सफल प्रबंधक एवं अधिकारी होते हैं। पब्लिशिंग, प्रिंटिंग, टूरिज्म, थिएटर, लेक्चरर व चिकित्सा के क्षेत्र में भी सफल होते हैं। बुद्घि से तरक्की करते हैं आजीविका की दृष्टि से आप तांबा व पीतल के बर्तनों की दुकान एवं कोयला आदि के व्यापार में, सोना, पुलिस आदि क्षेत्रों में शीघ्र सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

आर्थिक स्थिति : मूलांक ९ वालों की आर्थिक स्थिति परिवर्तनशील होती है। आर्थिक मामलों में या तो भारी सफलता मिलती है या भारी विफलता। सभी प्रकार के व्यापार तथा सांगठनिक कार्यो से धन कमाने की योग्यता होती है।

प्रेम-संबंध, विवाह और संतान : मूलांक ९ वाले व्यक्ति के प्रेम संबंध स्थायी नहीं होते। ये सुशील, सुंदर व अधिक आज्ञाकारी जीवनसाथी चाहते हैं। गृहस्थ जीवन ठीक रहता है, परंतु क्रोधी स्वभाव के कारण घर में तकरार हो जाती है। ये विलासी प्रवृत्ति के होते हैं। संतानसुख सामान्य रहता है। यात्रा : मूलांक ९ वाले व्यक्ति सैर-सपाटे के शौकीन होते हैं। देश-विदेश में घूमते हैं। यात्रा से इनको लाभ भी होते हैं। ये हर वर्ग के लोगों से मिलना पसंद करते हैं।
गृहस्थी में आपसी प्रेम
मूलांक 9 वाले व्यक्ति में रोग प्रतिरोधी क्षमता की कमी होती है। यही कारण है कि, मौसम में परिवर्तन से छोटी-मोटी परेशानियों का इन्हें सामना करना पड़ता है। विपरीत लिंग के व्यक्ति के प्रति यह आकर्षित रहते हैं। गृहस्थ जीवन में जीवनसाथी के साथ प्रेमपूर्ण सम्बन्ध रहता है। 28 वॉ वर्ष इनके लिए सबसे शुभ होता है। इस वर्ष इनका भाग्योदय होता है तथा धन सम्पत्ति का लाभ मिलता है। मूलांक 9 पर मंगल ग्रह का प्रभाव होता है। मूलांक 9 के लोग कभी भी अपने जीवनसाथी की उपेक्षा कर देते हैं, क्योंकि आपके अन्दर एक अहम की जो भावना है, स्वयं को सर्वोच्च एवं अपने साथी को कम ही समझने की, ये नुकसानदेह ही सिद्ध होती है। आवेशपूर्ण व्यवहार करते हैं, लेकिन अपने जीवनसाथी के प्रति पूर्णतया वफादार होते हैं।
मूलांक 9 वालों की दोस्ती
मूलांक 9 एवं 6 वाले व्यक्ति के साथ इनकी दोस्ती सफल रहती है। मूलांक 4 वाले व्यक्ति से इन्हें सावधान रहना चाहिए। इस अंक वाले व्यक्ति से इनकी दोस्ती दुश्मनी में बदलते देर नहीं लगती है।


जीवन में पूर्ण भाग्योदय के लिए एक बार तो मंगल गृह की साधना अवश्य ही करनी चाहिए ! अगर किसी कारण साधना न कर सकें तो मंत्र मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठायुक्त 'मंगल-यन्त्र ' या 'मूंगा ,धारण करना चाहिए




विशेषतायें:-
सावधानियां:-१- आप साधारण बातो पे भी भड़क जाते है. किसी से भी उलझ जाते है. इससे बचें
२-आप बहुत ही सौभाग्यशाली हो सकते है.अगर आप नम्र बने रहें .
3-वाहन चलाते समय या सवारी करते समय सजगता बरतनी चाहिये.
४- उग्र स्वभाव के कारण आपका परिवार बिखरने लगता है. अत: इस पर भी ध्यान देंआप ऐसे मित्र बनाये जो आपके गुस्से को शांत करने मे मदद करें .दिखावे से बचें
5-मंगल की स्थिति को ध्यान मे रख कर निर्बल समय मे इन्हे विशेष रूप से शांत रहना चाहिये.

शुभ रंग : मूलांक ९ वालों के लिए लाल और गुलाबी रंग शुभ है।

मित्र व शत्रु अंक : इनके लिए ३, , ९ मूलांक वाले लोग मित्र एवं ५ और ८ मूलांक वाले लोग शत्रु माने गए हैं।

शुभ तिथियां : मूलांक ९ वाले व्यक्ति के लिए ३,,,१२,१५,१८ और २७ तिथियां विशेष शुभ होती हैं।

शुभ दिन : रविवार, सोमवार, मंगलवार एवं गुरुवार शुभ दिन हैं।

गुरुमंत्र : मूलांक ९ वाले रक्तविकार से बचने के लिए उन पदार्थो को भोजन में सम्मिलित करें, जो रक्तशुद्धि में सहायक हों। मंगलवार को जानवरों को मीठी रोटियां खिलाएं और हनुमान जी की पूजा करें। प्रात:भ्रमण भी स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। शुभ रत्न मूंगा है।
९ का अंक मंगल का परिचायक है और मंगल क्रोध का पर्याय है। इसलिए ऐसे व्यक्ति दबंग प्रवर्ति के होते हैं। जैसे सलमान खान और शत्रुघ्न सिन्हा, दोनों का ही मूलांक ९ है।

मूलांक आठ (८)



मूलांक----------------------8

मूलांक 8
मूलांक 8 का स्वामी ग्रह शनि को माना जाता है इस कारण मूलांक आठ के जातकों पर शनि का प्रभाव देखा जा सकता है. पाश्चात्य मूलांक ज्योतिषियों के मतानुसार भी मूलांक आठ के व्यक्ति शनि के प्रभाव से युक्त होते हैं. 8, 17, 26 तारीखों में जन्मे जातकों का मूलांक 8 होता है.

मूलांक आठ के व्यक्ति शनि के प्रभाव से अपने जीवन में धीरे-धीरे उन्नति प्राप्त करते हैं. व्यवधानों, कठिनाइयों से जूझते हुए सफलता प्राप्त करना इनकी प्रकृति होती है तथा असफलताओं से घबराते नहीं हैं.

मूलांक आठ वाले व्यक्तियों का व्यवहार सहयोग पूर्ण होता है यह मदद करने में तत्पर रहते हैं.मूलांक आठ वालों में मित्रों की सहायता करने की चाह होती है, अपनी यथा शक्ति द्वारा सहयोगियों कि मदद करने का प्रयास करते हैं.
मूलांक आठ की विशेषताएं | Characteristics of Moolank 8

बातचीत करने में कुशल तथा तर्क में अच्छे तर्कशास्त्री होते हैं. मूलांक आठ वाले लगन के सच्चे और धुन के पक्के होते हैं, कार्य की पूर्णता एवं सफलता ही इनका लक्ष्य है. व्यक्तित्व की एक विशेषता यह भी है कि जब किसी के मित्र बनते हैं तो हर प्रकार से उसकी मित्रता का फर्ज निभाते हैं.

धन के मामलों में इन लोगों को चिंता की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती व्यवसाय या नौकरी में इन लोगों को अच्छा धन प्राप्त होता है, यह धन का उचित प्रकार से उपयोग करते है. धन की बर्बादी नहीं करते सोच समझ कर किफायत के साथ काम करते है इस कारण लोग इन्हें कंजूस भी समझ बैठते हैं.

मूलांक आठ वाले दिखावों से दूर रहते हैं यह ओर किसी भी प्रकार का बाहरी आड़ंबर पसंद नहीं करते, इनके व्यवहार से लोग इन्हें कठोर हृदय का समझने लगते हैं परंतु ऐसा नहीं है मन से मूलांक आठ वाले काफी भावुक एवं

दयालु हृदय के होते हैं.

इनका स्वभाव एवं व्यवहार सेवा-भाव वाला होता है किसी भी कार्य में श्रम, त्याग या बलिदान करने से पीछे नहीं हटते और इसी कारण अपनी मंज़िल अवश्य पाते हैं. यह सभी की सहायता करने के लिए सदैव तैयार रहते हैं.

शनि के प्रभाव स्वरूप मूलांक 8 के जातक संघर्षशील एवं परिश्रमी होते हैं तथा समस्याओं एवं विघ्नों को पार करते हुये सफलता को प्राप्त करते हैं इन्हें चाहे सफलता देर से मिले लेकिन वो सफलता स्थायी रूप से प्राप्त होती है.

मूलांक आठ में महत्वाकांक्षा का भाव उच्च होता है यह किसी भी उच्च पद की प्राप्ति इत्यादि के लिए सभी कुछ करने को उद्यत रहते हैं.

मूलांक 8 के व्यक्ति चरमपंथी या अतिवादीता के लक्षण भी दिखाई देते हैं यह जो भी कार्य करते हैं उसे अपनी पूर्ण चेतना शक्ति द्वारा करते हैं. यह जिस भी कार्य को करते हैं उसे पूरी ज़िम्मेदारी के साथ निभाने का प्रयास करते हैं और अपनी जिम्मेदारियों से पिछे नहीं हटते.

मूलांक आठ वाले लोग एकांत प्रिय तथा अंतर्मुखी होते हैं. अन्याय बर्दाश्त नहीं करते तथा इनके अंदर त्याग की भावना अधिक होती है. इस मूलांक वाले जातक अपनी मेहनत के बूते ऊंचाइयां हासिल करते हैं। स्वभाव से ये सरल ह्वदृय व दयालु होते हैं और दूसरे के काम आने में सुख की अनुभूति करते हैं। इसीलिए ये मित्रों के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। यहां तक कि मित्रों के लिए परिवार से भी झगड़ा कर बैठते हैं।
आपका जीवन क्योंकि प्रारंभ से ही संघर्षरत रहता है इसलिये प्यार-मोहब्बत के बारे में सोचने का समय आपके पास होता ही नहीं है। अपने जीवन में आप जो भी कुछ प्राप्त करते हैं, स्वयं के बलबूते पर ही करते हैं इसलिये प्रेम संबंधों में ज्यादा करके नीरस ही हो जाते हैं। प्रेम के मामलों में आपके दिमाग में कभी कोई जल्दबाजी नहीं होती है आप सदैव पारंपरिक जीवनसाथी को ही पसंद करते हैं।
मूलांक 8 वाले व्यक्ति अद्ïभुत रहस्यमय स्वभाव वाले तथा अति गूठ चिंतन वाले होते हैं। इनको समझना आसान नहीं है। कब क्या घट जाये पता नहीं चलता। यह अपने कर्म से प्रेम करते हैं। और हर रोज एक नया प्रयोग करते हैं। इसीलिए कार्य क्षेत्र बदलते रहते हैं। लंबे घने बाल, घनी भौंहे, गठीला शरीर तथा कद काठी में लंबे होते हैं। अपने ही ख्यालों में खोये-खोये से रहते हैं। ये कठोर व्रत और नियम वाले तथा गंभीरता से किसी भी बात को लेने वाले होते हैं। जीवन के प्रति इनका दृष्टिïकोण भौतिकवादी होता है। जैसे ऊपर से दिखाई देते हैं भीतर से अंतर्मुखी प्रतिभा के धनी होते हैं। नारियल के फल के समान ऊपर से कठोर परंतु भीतर किसी कोने में स्नेहिल व कोमल वात्सल्य छिपा होता है। जिसे यह प्रकट कम ही करते हैं। ये लोग सांसारिक भोग-विलास में लिप्त होकर भी भीतर से सत्यवक्ता व योगी हो सकते हैं। दर्शन शास में रुचि लेते हैं।

चापलूस, धोखेबाज व लम्मट व्यक्यिों से इनको भीतर से घृणा होती है। संपूर्ण शिष्टïाचार का पालन करते हुए ये अधर्म के प्रति बहुत कठोर होते हैं। इनका व्यवहारिक ज्ञान गहरा होता है। सुख-दुख व संघर्ष का जीवन जीने के कारण कड़े जीवन वाले व्यक्ति होते हैं। पैसे का सदुपयोग करना इनका स्वभाव होता है। सेवा करने से आनंद होता है। 8 मूलांक वाले लोग शनि प्रभाव वाले होते हैं। महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।परंतु इनको यश कम मिलता है। सहानुभूति व्यवहार को पसंद करते हैं। समय के पाबंद होते हैं। अपना कार्य पूर्ण करते हैं।यदि किसी लड़की या लड़के का जन्मदिन मूलांक 8 के अंदर आता है तो आपको बता दें कि इस नंबर वाले लोग मेहनती होते हैं। इस मूंलाक वाले अपनी मेहनत पर भरोसा रखते हैं। ये भावुक होते हैं लेकिन व्यावाहरिक भी बहुत होते है। इस नंबर वाले जानबूझकर किसी का दिल नहीं दुखाते हैं। इनकी कोशिश ये ही होती है कि ये किसी को दर्द ना पहुँचाये।

इन्हें हमेशा अच्छे साथ की जरूरत होती है। इनके साथ एक ही कमी होती है और वो ये कि ये इन्हें हर चीज बहुत देर में मिलती है, अपनी मंजिल पाने के लिए इन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। ये आकर्षक छवि के मालिक होते हैं। चेहरे पर मुस्कान लिए ये हर चीज का सामना बखूबी करते हैं लेकिन ये अक्सर अपनी अच्छाई के कारण ही मारे जाते हैं।

लोग इनका विरोध करना शुरू कर देते हैं। जिसके कारण ये कभी-कभी दुखी रहते हैं। इनका वैवाहिक जीवन भी सुखमय होता है। लोगों को साथ लेकर चलने की प्रवृत्ति इन्हें दूसरों से अलग करती है जिसके चलते ये हर दिल अजीज होते हैं। कुल मिलाकर ऐसे लोगों के संपर्क में हमेशा रहना चाहिए क्योंकि इनके पास आकर आप सुकून महसूस करेगें।
मूलांक 8 वालों की कमियाँ | Demerits of Moolank 8

मूलांक 8 पर शनि के प्रभाव के कारण ही इस मूलांक वाले को बहुत कठिनाई से जुझना पड़ता है .लोग इन्हें रुखा और कठोर समझते हैं जबकि ऐसा नही है.

मूलांक 8 वाले शंकाकुल या कहें की आशंकित स्वभाव वाले होते हैं. छोटी- छोटी बातों को लेकर निराश हो जाते हैं. अच्छा स्वभाव होने के बावजूद इनमें चालाकी का भाव भी होता है.

मूलांक 8 के व्यक्ति को समझना मुश्किल होता है इनके व्यक्तित्व में गहराई का समावेश होता है. अत:कई बार लोग इन्हें समझने में गलती भी कर जाते हैं.

मूलांक आठ वाले व्यक्ति जब किसी पर क्रोधित हो जाते हैं, तो उन्हें कुछ नहीं सूझता और बदला लेने के लिए के लिए उतावले हो जाते हैं.

मूलांक 8 वालों को चाहिए की एकांत से बचे, क्योंकि एकांत प्रिय होने से इनका मन दुखी और भारी हो सकता है, और निराश के भाव में जा कर यह कुछ गलत कर सकते हैं.

मूलांक आठ के जातक अपनी मेहनत के बूते ऊंचाइयां हासिल करते हैं। स्वभाव से ये सरल ह्वदय और दयालु होते हैं और दूसरे के काम आने में सुख की अनुभूति करते हैं।

बचपन
इस मूलांक के बालक एकांतप्रिय और अन्तमुर्खी होते हैं। शनि से प्रभावित ऎसे बालकों का ह्रदृय कोमल होता है। इनके लिए शनि यंत्र धारण करना शुभकर होता है। इन बालकों में प्रतिस्पर्घा की भावना होती है। आम तौर पर ये स्वस्थ और सुंदर होते हैं।

मूलांक 8 वाले व्यक्तियों का भाग्योदय प्राइवेट नौकरी में, ठेकेदारी, लोहे का काम, मशीन के कलपुर्जे, ब्याज पर लाभ, तेल-तिलहन, प्रोपर्टी में सेल-परचेज, भूमि में खाद, दवाईया आदि के क्षेत्र में लाभ होता है। पेट्रोलियम प्रोडक्टस के क्षेत्र में लाभ होता है। अचानक धन प्राप्ति का योग 8 मूलांक वालों को मिलता है। लाटरी, शेयर मार्किट से लाभ भी इनको कभी-कभी प्राप्त होता है।आठ अंक वाले व्यक्तियों को तेज गति से वाहन नहीं चलाना चाहिये।
इन्हें हमेशा कमर दर्द, सरवाइकल, पेट के रोग, पैरों में दर्द से सावधान रहना चाहिए।
उच्च महत्वपूर्ण पद पर सुशोभित हो सकते हैं। कर्तव्यों को समयानुसार पूर्ण करते हैं।
गणनाओं के अनुसार 21 दिसंबर से 18 जनवरी, 1 फरवरी तक शनि का विशेष प्रभाव 8 मूलांक वालों पर होता है।
तारीख 8, 17, 26 तथा शनिवार के दिन अपना नया काम करें तो शुभ होता है।
गहरा काला नीला आदि रंग शुभता लाते हैं।
4 मूलांक वाले व्यक्तियों से मित्रता होती है।
4, 13, 22वां वर्ष शुभ होता है।
8, 17, 26, 44, 53, 62, 71, 80, 98 आदि वर्ष आपके जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष है।

एक महत्वपूर्ण बात
इन्हें हमेशा जीवन के प्रति उदासी, डिप्रेशन, वैराग्य निराशा की भावना से बचना चाहिए। क्योंकि यह इनकी प्रगति में बाधक हैं।मूलांक 8 वालों को अपने दिल में गहरे राज छिपाना दु:खदायी होता है। इसीलिए किसी मित्र को दिल को छूने वाली दु:खद घटना अवश्य कहकर दिल हल्का कर लेना चाहिए।मूलांक 8 वालों अपने पारिवारिक सदस्यों की व्यर्थ आलोचना से बचना चाहिए।सत्य बोले, लेकिन मीठा बोले। विपत्ति के समय मौन रहकर श्री शनिदेव का मंगलकारी मंत्र का जाप करना अनुकूल रहेगा।
उल्लेखनीय व्यक्ति
. संत तुकाराम जी, 2. राजगोपालाचार्य, 3. शेख मुर्जीबुरहमान, 4. माओत्सेतुंग (चीन), 5. जार्ज बर्नार्ड शा, 6. डा. जाकिर हुसैन (राष्टï्रपति), 7. हैदर अली